गोविन्दपुरम गाजियाबाद मे आयोजित विराट कवि सम्मेलन परम पूजनीय विष्णु कौशिक जी महाराज के परम मंगलमय सान्निध्य एवं हजारों श्रोताओं की उर्जित उपस्थिति के मध्य सफलता के सर्वोच्च बिंदु को स्पर्श करता हुआ संपन्न हुआ। विराट कवि सम्मेलन की अध्यक्षता दिल्ली से पधारे वरिष्ठ राष्ट्रीय गीतकार डॉक्टर जयसिंह आर्य ने की। संयोजन एवं संचालन गाजियाबाद के युवा कवि वैभव शर्मा का रहा। हापुड़ से आए कवि विकास विजय सिंह त्यागी ने भी शानदार काव्य पाठ किया ।
राष्ट्रीय गीतकार डॉ.जय सिंह आर्य नें देश में पनपे साम्प्रदायिक तनाव पर जब यह दोहा पढ़ा तो वातावरण गमगीन हो गया:-
मन में उठ्ठी आँधियां, उठ्ठा है तूफ़ान।
भारत माँ की आत्मा, हो गई लहूलुहान ।।
डॉ.जय सिंह आर्य के बेटियों पर सुनाए गीत सभी का मन मोह लिया तथा श्रोताओं ने खड़े होकर पुष्प वर्षा से गीत एवं गीतकार का अभिनंदन किया बानगी:-
ओढ़कर जब मैं धानी चुनर जाऊँगी
सूना-सूना सा घर माँ का कर जाऊँगी
बस चिरैया समझ लेना बाबुल मुझे
मैं इधर कई नहीं हूँ उधर जाऊँगी
कवि सम्मेलन में उपस्थित श्रोताओं ने वैभव शर्मी,विजय विकास त्यागी की कविताओं का भी अभिनंदन पुष्प वर्षा से किया।
राष्ट्र, धर्म, संस्कृति एवं मातृशक्ति पर आधारित एक से बढ़कर एक कविताओं की सभी श्रोताओं ने न केवल जमकर सराहना की अपितु तालियों की गूँज से आसपास के वातावरण को गूँजायमान कर दिया ।